कविता,कविता नहीं
वह धड़कन की राज है
क्या समझा यह दिल
उसी की आवाज है।।
कविता और कुछ भी नहीं
पंक्ति में सजाने का अंदाज है
शब्द शब्द जोड़कर लिखा
अपना,अपना अंदाज है।।
क्या देखा यह नजर
उसी नजरिए का साज है
कविता और कुछ है ही नहीं
आत्मा की बाज है।।
जो उड़ते उड़ाते किसी अन्य लोगों में
कराते सैर स्व राज है
कविता के इसी विशिष्ट रूप को
कहते दिव्य आत्मा और क्या बात है
जो उत्पन्न होते हैं मन मस्तिष्क में
कविता उसी का एहसास है
कविता तब कविता है
जब कविता देता अल्फाज है।।
कविता,कविता नहीं
वह धड़कन की राज है
क्या समझा यह दिल
उसी की आवाज है।।
नाम :- संदीप कुमार
पता :- दियारी (मजगामा)
जिला :- अररिया (बिहार)
फोन नं :- 7549995604
जीमेल :- jisandeepkmandal@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें