बुधवार, 29 जून 2022

लच्छेदार बातों से वह उसे अच्छा मान चुका था झूठे किरदारों को वह सच्चा मान चुका था


 लच्छेदार बातों से वह

उसे अच्छा मान चुका था

झूठे किरदारों को वह

सच्चा मान चुका था।।

संदीप कुमार

जो चलते हैं गिरगिट की चाल

उसे कच्चा मान चुका था

हजारों विध्वंस किए जिसने

उसे बच्चा मान चुका था।।


नहीं है उसके दिल में खोट कोई

यह संदेश दे चुका था

अरे मत करो मतभेद किसी से

यह उपदेश दे चुका था।।


मिटाकर नफरत सारे

चलो कहते हैं हम एक हैं

अनेक हैं हम नेक है हम

6000 भाषा है पर एक है हम

चिल्ला चिल्ला कर कह चुका था।।


पर यह लगता अधूरा सत्य है

इसीलिए किसी का अस्मत लुटा है

हां फिर किसी का घर से सर

और इस दुनिया से रिश्ता टुटा हैं।।

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