बुधवार, 29 जून 2022

सब भुल गए हैं पढ़ कर एक कहानी की तरह छोड़ दिए हैं घुलटने सब धड़े में पानी की तरह कोई नहीं कोई नहीं उलट कर एक बार देखते हैं जैसे छूटे हाथ,छूटे साथ वृक्ष से टहनी की तरह


 बचपन से जवानी तक

दादा-दादी से नाना-नानी तक 

सब का साथ मिला नादानी तक

अब नहीं रहा आश किसी का पानी तक।।

Sandeep Kumar

सब भुल गए हैं पढ़ कर एक कहानी की तरह

छोड़ दिए हैं घुलटने सब धड़े में पानी की तरह

कोई नहीं कोई नहीं उलट कर एक बार देखते हैं

जैसे छूटे हाथ,छूटे साथ वृक्ष से टहनी की तरह।।


जबकी ऐसा भी ना है हम बात ना सुनते हो जेठानी की तरह

अन देखा करते हो सबों को बचपन की शैतानी की तरह

फिर भी सब हाथ का छाया उठा लिया जैसे चक्रपाणि की तरह

यह कहानी है मेरी बचपन से सुख-दूख, राजा-रानी की तरह

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