तुम भी हाथ बढ़ाओ
हम भी हाथ बढ़ाते है
पुराने गिले-शिकवे को
नई दोस्ती से मिटाते हैं।।
किसी की जरूरत क्या
अपने फैसले अपने से सुनाते हैं
और अंतिम निर्णय पर
हम स्वैग पहुंच जाते हैं
तुम भी हाथ बढ़ाओ....
पुराने नोक झोंक को
अब हम-आप भुलाते हैं
नई राह नई पहचान
फिर से बनाते हैं
तुम भी हाथ बढ़ाओ....
इस दौड़ की जो जरूरत है
उस जरूरत में धुल-मील जाते हैं
दौड़ के अनुरूप ही
अपनों में ढल जाते हैं
तुम भी हाथ बढ़ाओ....
स्थिर पानी सा ना रुक कर
हम बहता पानी बन जाते हैं
परिवर्तन शील संसार में
परिवर्तन का उदाहरण बन जाते हैं
तुम भी हाथ बढ़ाओ.....
नाम :- संदीप कुमार
पता :- दियारी (मजगामा)
जिला :- अररिया (बिहार)
फोन नं :- 7549995604
जीमेल :- jisandeepkmandal@gmail.com
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