वह मगरुर है ऐसे प्यार में
की उसे समझ ना आता अंतर
यार और रिश्तेदार में
❤👼❤👲❤❤❤Sandeep Kumar |
बे लहजे बे हिचक
खोल देता चिट्ठी परिवार में
हया भी बेच आया
वह मुहब्बत के बाजार में।।
पहन कर पजामा लिए हाथ में कुर्ता
चलता सफर में सीना तान के
अडिग अटल है वह
अपने प्रतिष्ठा और स्वाभिमान में।।
आंच ना आने देता जरा सा
अपने निष्ठा के सम्मान में
सर झुकाता है वह बस
अपने प्यार के आन बान सान में।।
तनिक भी ना अंतर समझ आता उसे
अंधेरी रात और दिन के काम में
वह ऐसे सवार हुआ है
प्यार के नाव में।।
नाम :- संदीप कुमार
पता :- दियारी (मजगामा)
जिला :- अररिया (बिहार)
फोन नं :- 7549995604
jisandeepkmandal@gmail.com
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