रविवार, 10 जुलाई 2022

आस्था की प्रतिमुर्ती बन कर जब भक्त भगवान के दर जाते हैं तब भगवान भक्त को अपने सर पर बैठा लेते हैं

 भाव से मिलते हैं भगवान🌹


आस्था की प्रतिमुर्ती बन कर 

जब भक्त भगवान के दर जाते हैं

तब भगवान भक्त को

अपने सर पर बैठा लेते हैं।।

नई-नई ऊंचाई को तब वह

आसानी से पा लेते हैं

ऐसे जैसे बंद ताले के किस्मत 

मालिक आते खिल जाते हैं

आस्था की प्रतिमुर्ती.....


नई शुरुआत तब उसके लिए

कई सुर्खी-या बटोरने लगते हैं

भाग्य उसके तो ऐसे-जैसे

मिट्टी से सोने उगलते हैं

आस्था की प्रतिमुर्ती.....


कंकड़-कंकड़ शंकर हो जाते

मिलते उसको नील गगन हैं

चारो तरफ हरियाली उसकी 

तमस कहीं न होते हैं

आस्था की प्रतिमुर्ती.....


धन दौलत माल खजाने से

घर उसके भर जाते हैं

कुछ भी कमी नहीं

उसको कभी महसूस होते हैं

आस्था की प्रतिमुर्ती.....


भाव से मिलते हैं भगवान

भाग्य न देखे जाते हैं

तन मन अर्पित जब 

भक्त भगवान को कर देते हैं

आस्था की प्रतिमुर्ती.....


नाम :- संदीप कुमार

पता :- दियारी (मजगामा)

जिला :- अररिया (बिहार)

फोन नं :- 7549995604

जीमेल :- jisandeepkmandal@gmail.com

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