शुक्रवार, 15 जुलाई 2022

जब मिट जाती हैं पटवन से प्यास

 सूखकर भूमि किसान का

पानी को हो जाते हैं त्रास्त

तब जाकर बादल हैं आते

जब मिट जाती हैं पटवन से प्यास।।

अच्छी खासी आंधी भी साथ है लाते

कर देते हैं अच्छे खासे फसल को बर्बाद

बेचारे किसान सर पटक - पटक रोते

तब सरकार देती आश्वासन की सौगात।।


मिलते नहीं छनिक सी भी खुशी

की चाटुकार देते हाथ पसार

मेरी भी हिस्सा दे दो

भैया मेरे किसान सरदार।।


तुम ही मालिक हो तुम्हीं हो अन्न आहार

तुम से ही खुश है मेरे नन्हे-मुन्ने पालनहार

तुम्हारे बिन कुछ भी नहीं एक फूटी कौड़ी तक

तुम जलते हो तो रोशन होता है मेरा घर परिवार।।


चीख कर मर जाते,सुनते नहीं कोई पुकार

अन्नदाता निभाते कैसे,इतने बड़े किरदार

घर चलाते,खुश हैं रहते,भरते पेट लाखों हजार

सचमुच वह किसान नहीं, भगवान का है अवतार

सचमुच वह किसान नहीं, भगवान का है अवतार।।


नाम :- संदीप कुमार

पता :- दियारी (मजगामा)

जिला :- अररिया (बिहार)

फोन नं :- 7549995604

जीमेल :- jisandeepkmandal@gmail.com

बुधवार, 13 जुलाई 2022

आत्मग्लानि में जीना - मरना पड़ता है


कौन अपराधी कौन स्वार्थी

ना जाने किसका क्या मंथन है

कौन भूख से पीड़ित कौन चोर

कौन किस मानसिकता से संकुचित है।।


थोड़े बहुत लोभ लालच में

मारते कौन किसको चाकू है

जो होते काम चोर और उचंगे

वह बनते अक्सर डाकू हैं।।


इसकी सजा इसके मानसिकता और कर्मों पर हो

मानव धर्म यही कहता है

ऐसे छोड़ देने से तो 

मनोबल इनके और बढ़ जाता है।।


नहीं मिली सजा तो बड़े बड़े घटना को अंजाम देते हैं

और फौलादी सीना चौड़ा कर यहां वहां घूमते हैं

किसी को भी डांट फटकार कर

कुछ भी हड़प कर धर ले आते हैं।।


लेकिन कुछ है कि जो यह न करना चाहते हैं

मजबूरी उसको खींच कर यही ले आते हैं

और ना चाहते हुए भी उसे यह करना पड़ता है

आत्मग्लानि में जीना - मरना पड़ता है।।


नाम :- संदीप कुमार

पता :- दियारी (मजगामा)

जिला :- अररिया (बिहार)

फोन नं :- 7549995604

जीमेल :- jisandeepkmandal@gmail.com

मंगलवार, 12 जुलाई 2022

🌹कहानी, एक जिंदगी बसने से पहले उजड़ गयी🌹 रानीगंज की एक धटना जो जम कर वाइरल हो रहा है, उसका संबंध एक प्यार की दर्द भरी कहानी से हैं, जो किसी हिर- राझा , लैला- मजनू से कम नहीं हैं....... वहां कि एक लड़की जो अपने सहेली के साथ पढ़ने के लिए क्लास जाती थी , उसे एक लड़के से सम्पर्क था,जिसे की इस लड़की की सहेली बहुत पसंद थी, जिस कारण से वह लड़का उस लड़की से कहा कि तुम अपनी सहेली से हमें बात कराओं तो यह लड़की प्रयास की लेकिन पहले दो चार महीना तक तो बात नहीं बन पाई परन्तु लगातार प्रयास का परिणाम है कि कुछ दिन के बाद सफल रही ,जो झिझक सामने आया करता था वह सब सामान्य हो गया और आपसी तालमेल बैठ गया, बात करने लगी...... जैसा कि हमारे समाज का रिती रिवाज रहा है कि किसी के कारण कोई सफलता मिलता है तो हम उसके प्रति कृतज्ञ होते हैं ठीक उसी प्रकार वह लड़का भी उस लड़की के कारण मिली सफलता का कृतज्ञ था, इसके लिए उसे लाख लाख दुआएं ,बधाई दिया करता था, लेकिन जैसे-जैसे जिंदगी आगे बढ़ रहा था वैसे वैसे जिंदगी में मोड़ आ रहा था, समय दो- ढा़ई वर्ष बित चुका था तो गुद-बुदी लगी रहती थी कि आगे का क्या कार्यक्रम हो लेकिन उस पल का इंतज़ार मिटा,बादल छटा और एक दीन उस लड़की की भाभी उस लड़के को फोन पर आमंत्रित किया,भोला भाला लड़का ना कुछ सोच ना कुछ समझा भागे-भागे उस लड़की की भाभी से मिलने के लिए........ लेकिन वहां के सडयंत्रों से अनभिज्ञ लड़का उतावलेपन में उसके यहां आ पहुंचा, जैसे ही उसे वहां देखा सभी फौरन एक्टिव हुआ और उसे पकड़ धकड़ कर एक रूम में बंद कर दिया, तथा दुसरे रूम में उस लड़की को. और फिर जो ना होना चाहिए था वहीं हुआ, उस लड़के को सहमा - सहमा कर बेरहमी से मार डाला, बेचारी लड़की अपने प्रेमी को मारते - मरते देख तड़प - तड़प कर नहीं मर पा रही है और ना जी पा रही हैं.पर उसे इस बात का बड़ा पश्चाताप हो रही है कि, उसने जो मना किया था अगर वह मान जाता तो आज यह दिन देखना ना पड़ता, आज हम भी होते वह भी होता किसी को तड़पना तो किसी को प्राण देना ना...... समय हुआ पोस्ट मार्डम हुआ,अब बारी आई अंतिम संस्कार कि , की क्या किया जाए मुख अग्नि किसे देना चाहिएं, बात बिचार चल ही रही थी कि लड़की ने साहस और कही मैं दुंगी मैं इसे अपना पति मान चुकी हूं, दिल में इसका धर बना चुकी हूं तो मैं इसकी अविवाहित ही सही लेकिन मैं इसकी अर्धांगिनी हुं, इस बात को सुनकर दोनों के प्यार के सामने सभी नतमस्तक हो गया, एक जिंदगी जो बसने से पहले उजड़ गई इस बात का पिड़ा , दर्द सबों को होने लगा..... और सभी आपस में गुदगुदाने लगा कि सभी एक जैसे नहीं होते हैं कुछ प्रेम करने वाले राधा, तो कुछ सती अनुसुइया जैसे होते हैं मरते दम तक फर्ज अपना निभाते हैं ना कि ढोंग रच कर अपने जाल में फंसाते हैं और जिस्म का सौदा कर रोड़ पर मरने के लिए छोड़ देते हैं...।।

 🌹कहानी, एक जिंदगी बसने से पहले उजड़ गयी🌹


रानीगंज की एक धटना जो जम कर वाइरल हो रहा है, उसका संबंध एक प्यार की दर्द भरी कहानी से हैं, जो किसी हिर- राझा , लैला- मजनू से कम नहीं हैं.......

     वहां कि एक लड़की जो अपने सहेली के साथ पढ़ने के लिए क्लास जाती थी , उसे एक लड़के से सम्पर्क था,जिसे की इस लड़की की सहेली बहुत पसंद थी, जिस कारण से वह लड़का उस लड़की से कहा कि तुम अपनी सहेली से हमें बात कराओं तो यह लड़की प्रयास की लेकिन पहले दो चार महीना तक तो बात नहीं बन पाई परन्तु लगातार प्रयास का परिणाम है कि कुछ दिन के बाद सफल रही ,जो झिझक सामने आया करता था वह सब सामान्य हो गया और आपसी तालमेल बैठ गया, बात करने लगी......

       जैसा कि हमारे समाज का रिती रिवाज रहा है कि किसी के कारण कोई सफलता मिलता है तो हम उसके प्रति कृतज्ञ होते हैं ठीक उसी प्रकार वह लड़का भी उस लड़की के कारण मिली सफलता का कृतज्ञ था, इसके लिए उसे लाख लाख दुआएं ,बधाई दिया करता था, लेकिन जैसे-जैसे जिंदगी आगे बढ़ रहा था वैसे वैसे जिंदगी में मोड़ आ रहा था, समय दो- ढा़ई वर्ष बित चुका था तो गुद-बुदी लगी रहती थी कि आगे का क्या कार्यक्रम हो लेकिन उस पल का इंतज़ार मिटा,बादल छटा और एक दीन उस लड़की की भाभी उस लड़के को फोन पर आमंत्रित किया,भोला भाला लड़का ना कुछ सोच ना कुछ समझा भागे-भागे उस लड़की की भाभी से मिलने के लिए........

       लेकिन वहां के सडयंत्रों से अनभिज्ञ लड़का उतावलेपन में उसके यहां आ पहुंचा, जैसे ही उसे वहां देखा सभी फौरन एक्टिव हुआ और उसे पकड़ धकड़ कर एक रूम में बंद कर दिया, तथा दुसरे रूम में उस लड़की को. और फिर जो ना होना चाहिए था वहीं हुआ, उस लड़के को सहमा - सहमा कर बेरहमी से मार डाला, बेचारी लड़की अपने प्रेमी को मारते - मरते देख तड़प - तड़प कर नहीं मर पा रही है और ना जी पा रही हैं.पर उसे इस बात का बड़ा पश्चाताप हो रही है कि, उसने जो मना किया था अगर वह मान जाता तो आज यह दिन देखना ना पड़ता, आज हम भी होते वह भी होता किसी को तड़पना तो किसी को प्राण देना ना......

       समय हुआ पोस्ट मार्डम हुआ,अब बारी आई अंतिम संस्कार कि , की क्या किया जाए मुख अग्नि किसे देना चाहिएं, बात बिचार चल ही रही थी कि लड़की ने साहस और कही मैं दुंगी मैं इसे अपना पति मान चुकी हूं, दिल में इसका धर बना चुकी हूं तो मैं इसकी अविवाहित ही सही लेकिन मैं इसकी अर्धांगिनी हुं, इस बात को सुनकर दोनों के प्यार के सामने सभी नतमस्तक हो गया, एक जिंदगी जो बसने से पहले उजड़ गई इस बात का पिड़ा , दर्द सबों को होने लगा.....


    और सभी आपस में गुदगुदाने लगा कि सभी एक जैसे नहीं होते हैं कुछ प्रेम करने वाले राधा, तो कुछ सती अनुसुइया जैसे होते हैं मरते दम तक फर्ज अपना निभाते हैं ना कि ढोंग रच कर अपने जाल में फंसाते हैं और जिस्म का सौदा कर रोड़ पर मरने के लिए छोड़ देते हैं...।।

सोमवार, 11 जुलाई 2022

बेकरारी दिल में इतना की बढ़ जाता मेरा कदम था जेठ अषाढ़ का धुप भी लगता मुझे नरम था।। निकल जाते थे धर से बाहर दिल ऐसा बदहाल था प्यार की कहानी देखों मन कितना बदहाल था बेकरारी दिल में इतना की..... सुनते ना थे किसी का हम पर उसके आहट पर हाजीर था जान निकल जाती थी मेरी होता उससे कोई फ्रेंक

 बेकरारी दिल में इतना की

बढ़ जाता मेरा कदम था

जेठ अषाढ़ का धुप भी

लगता मुझे नरम था।।


निकल जाते थे धर से बाहर

दिल ऐसा बदहाल था

प्यार की कहानी देखों

मन कितना बदहाल था

बेकरारी दिल में इतना की.....


सुनते ना थे किसी का हम

पर उसके आहट पर हाजीर था

जान निकल जाती थी मेरी

होता उससे कोई फ्रेंक


एक लड़की थी पगली सी जो चांद सी निकलती थी आंखों में सुकून पैदा कर तड़प दिल की हरती थी।।

 एक लड़की थी पगली सी

जो चांद सी निकलती थी

आंखों में सुकून पैदा कर

तड़प दिल की हरती थी।।

तन बदन कि सारी दर्दे

एक पल में हर लेती थी

अंतरात्मा में खुशियां ही खुशियां

पल दो पल में भर देती थी

एक लड़की थी पगली......


जैसे सारा कुछ मिल गया हो

जग में सबसे न्यारा हो

अंधकार में जैसे जुगनू 

देता थोड़ा सहारा हो

एक लड़की थी पगली......


दिल में बस्ती थी वह

वह संसार हमारा हो

वह लगती थी ऐसी जैसी

देती हमें किनारा हो

एक लड़की थी पगली......


ऐसा लगता था हमें

बिन उसकी ना कोई हमारा सहारा हो

उसके बिन किस्मत हमारा

अधुरा - अघुरा हो

एक लड़की थी पगली......

नाम :- संदीप कुमार

पता :- दियारी (मजगामा)

जिला :- अररिया (बिहार)

फोन नं :- 7549995604

जीमेल :- jisandeepkmandal@gmail.com

ऐसा धर्म रच डालो जो मानवता की बात करें ना किसी पर कटाक्ष करें ना किसी पर आघात करें।।

 ऐसा धर्म रच डालो

जो मानवता की बात करें

ना किसी पर कटाक्ष करें

ना किसी पर आघात करें।।

छोटे बड़े कि बात नहीं

एक सा सब का रात कटें

ना किसी को टेंशन हो

ना कोई किसी पर धात करें

ऐसा धर्म रच डालो......


कोई भय में ना जिए

कोई किसी का न प्रयाय चले

ऐसा मन में भाव भरों

वैसा जग में कार्य करों

ऐसा धर्म रच डालो.....


नफरत ना हो नादान काया सा

ऐसा बचपन कि ऐहसास करें

मिठी-मिठी बातों से

सब-सब का सत्कार करें

ऐसा धर्म रच डालो.....


मोह माया में न रहे लिप्त

त्याग तपस्या सा व्यवहार करें

सादा जीवन जिए सदा

पवित्र उसका चरितार्थ रहें

ऐसा धर्म रच डालो.....

रविवार, 10 जुलाई 2022

छड़ी भगवान की घुमती है तो इन्साफ होती हैं

 🌹कहानी , छड़ी भगवान की घुमती है तो इन्साफ होती हैं


🌹


हाल फिलहाल की बात है  हम अपने मित्र के साथ एक अस्पताल पहुंचे तो देखा कि वहां ढ़ेर सारी मरीज कई बेड़ पर लेटा हुआ है तभी एक गंभीर हालात से जुझता हुआ मरीज को उसके स्वजनों ने लेकर आया परन्तु अस्पताल वालों ने उसे देख कर भर्ती लेने से इंकार कर दिया.

    उसके स्वजनों ने विनती की तो मान गया और भर्ती ले लिया क्यों की उसे महसूस हुआ कि उसके स्वजन अशिक्षित, लाचार, बेबस बेचारा सा दिख रहा था तो अस्पताल वालों को लगा कि हम इनसे खुब कमाएंगे और कमाया भी जिस कारण से काफी प्रसन्न था.

    शायद भगवान को यह चिज़ पसंद नहीं आया और उसी रात एक बड़ा ही दुखद धटना घटित हुआ, एक दूसरा मरीज का देहांत हो गया जिसके कारण उनके स्वजन आक्रोशित हो गया और तोड़ फोड़ के साथ-साथ मारपीट और थाना पुलिस कर दिया.

     जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने जो कमाया था उसकी भरपाई करने में हाथ आया जो पैसा पल दो पल में चला गया इसीलिए कहते हैं कि छड़ी भगवान की घुमती है तो इंसाफ होता है.

      उधर वह मरीज धिरे-धिरे स्वास्थ्य हो गया उनके परिजन खुशी मना रहे थे कि अब किसी प्रकार का टेंशन नहीं है तभी अचानक खबर मिला की बिटिया रानी को देखने के लिए कुछ मेहमान आ रहे हैैं फिर वह तनाव में चले गया कि अब कैसे होगा अभी तुरंत बिमारी से उठे हैं हाथ में पैसा-कोड़ी है नहीं क्या करेंगे.

      परन्तु उन्होंने भगवान के भरोसे सब कुछ छोड़ दिया जो होगा देखा जायेगा और सोचने लगा जैसे तैसे कर सब कुछ हो जाएगा लेकिन हुआ उसके जस्ट सोच का उल्टा लड़के का पिताजी ने कहा हमें कुछ नहीं चाहीए आपकी पुत्री हमारी पुत्री है आप अभी तुरंत अपने इलाज में सारे पैसे खर्च कर दिए हैं तो क्या मेरे पास है न.

       इतना सुनते ही उन्होंने भगवान का नाम लेते हुए अपना सर झुका लिया और कहा कि भगवान अगर कुछ लेता है तो देता भी हैं भगवान कहीं और नहीं यही है इतना ही कहते हुए वह नतमस्तक हो गया।।

आस्था की प्रतिमुर्ती बन कर जब भक्त भगवान के दर जाते हैं तब भगवान भक्त को अपने सर पर बैठा लेते हैं

 भाव से मिलते हैं भगवान🌹


आस्था की प्रतिमुर्ती बन कर 

जब भक्त भगवान के दर जाते हैं

तब भगवान भक्त को

अपने सर पर बैठा लेते हैं।।

नई-नई ऊंचाई को तब वह

आसानी से पा लेते हैं

ऐसे जैसे बंद ताले के किस्मत 

मालिक आते खिल जाते हैं

आस्था की प्रतिमुर्ती.....


नई शुरुआत तब उसके लिए

कई सुर्खी-या बटोरने लगते हैं

भाग्य उसके तो ऐसे-जैसे

मिट्टी से सोने उगलते हैं

आस्था की प्रतिमुर्ती.....


कंकड़-कंकड़ शंकर हो जाते

मिलते उसको नील गगन हैं

चारो तरफ हरियाली उसकी 

तमस कहीं न होते हैं

आस्था की प्रतिमुर्ती.....


धन दौलत माल खजाने से

घर उसके भर जाते हैं

कुछ भी कमी नहीं

उसको कभी महसूस होते हैं

आस्था की प्रतिमुर्ती.....


भाव से मिलते हैं भगवान

भाग्य न देखे जाते हैं

तन मन अर्पित जब 

भक्त भगवान को कर देते हैं

आस्था की प्रतिमुर्ती.....


नाम :- संदीप कुमार

पता :- दियारी (मजगामा)

जिला :- अररिया (बिहार)

फोन नं :- 7549995604

जीमेल :- jisandeepkmandal@gmail.com

शुक्रवार, 8 जुलाई 2022

एक कहानी प्यार की

 🌹एक कहानी प्यार की 🌹

जिंदगी जब चल पड़ी तो साथ कई पथिक चलने लगा खट्टी मीठी बातें और कड़वी - कड़वी कई यादास्ते सुनाने लगा जिसमें से एक कहानी प्यार की सुनाई जो हमारा दर्द बढ़ाने लगा , बेचैन धड़कन, आंखों में तड़प , सामने झलक कर आने लगा यह दास्ता बहुत कुछ बताने लगा कि जिस तरह लोग अपने जीवन में क्षण भंगुर प्यार का ढ़ोंग गढ़ते हैं एक साथ कई गलफ्रेंड - बॉयफ्रेंड बनाता हैं और आनंद लेता फिर आगे बढ़ जाता हैं जो कि किसी एक के जिंदगी के लिए बड़ी ही घातक शिद्ध होता है जिसके कारण जो बड़ा उम्र में होना चाहिए वहीं कच्चा उम्र में हो जाता है इसके कारण समाज में कई तरह का अस्थिरता उत्पन्न होती है जैसे कि पारिवारिक विवाद, असमझ , अनुशासन हिनता बचकाना गलती इत्यादि।

    उसी में से एक कहानी है प्यार कि जो बढ़ते उम्र के साथ खुद-बखूद हर किसी को कहीं न कहीं आकर्षित कर लेता है, उस आकर्षण के कारण छोटी मोटी गलती हो जाती है जिसके कारण कई जिंदगी बर्बाद हो जाती है तो कई जिंदगीया तबाह हो जाती है लेकिन उन्हीं में से दो-चार है जो कि सफल भी हो जाता है

      लेकिन जैसा कि एक व्यक्ति ने किसी के साथ धटीत हुआ धटना को बताया मैं उसी धटना को अपने शब्दों में बताता हूं इन्हें ने बताया कि एक लड़का जो पढ़ाई के लिए  पैसे लिए, टुईसन पढ़ा कर एकत्रित किए सभी अपने प्यार को प्राप्त करने के लिए उड़ा दिया और खुद न पढ़ कर बस उनकी यादों में खोया रहा और एक समय में जब वह अपनी मार्ग बदलने लगी तो उसे अपना भविष्य अंधकारमय दिखने लगा , तो भला अब कैसे यह बर्दाश्त होगा क्यों की जिसे प्राप्त करने के लिए सारा आलम झोंक दिया  वह आज अपने हाथों से निकल रहा है, औरों के साथ में जा रही है तो उसे गुस्सा आएगा ही स्वाभाविक सी बात है और उसी गुस्से को बर्दाश्त नहीं कर पाया जिसके परिणामस्वरूप अर्थ से अनर्थ कर दिया , क्योंकि उसे लगता है कि हमारे माता-पिता ने हमें जिस उद्देश्य के लिए धर से बाहर भेजा है मैं उस उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रहा हूं तो मैं अब जी कर क्या करु?

      चारों तरफ देखता है और जब उसे कोई नजर नहीं आता है तो वह हताश , निराश होकर सोचने लगता है कि अब हम समाज को कैसे अपना चेहरा दिखाएं , 

जिसके कारण वह कुछ सोच ना पाता है और अंतिम निर्णय पर पहुंचता है जो कि किसी भी तरह से किसी के लिए अनुकूल नहीं है परन्तु अपने जवाब देही से भागने के लिए एक अजीब मार्ग को अपनाता है जो सोच कर ही हमारे और आपके रौंगटे खड़े हो जाते है परन्तु वह अपने आप को उस के लिए तैयार कर लेते हैं, इस संसार को अलविदा कह देता हैं ।

    जो कि किसी के लिए न्याय संगत नहीं हैं भगवान न करे किसी के साथ ऐसा धटना घटित हो इसके लिए हमें और हमारे समाज को सजग और सावधान होना होगा और आवश्यकता के अनुरूप समय-समय पर ऐसे नवल नव युगल को मार्गदर्शन देना होगा जिससे कि खुद को विपरीत परिस्थिति में संभाल सकें।


नाम :- संदीप कुमार

पता :- दियारी (मजगामा)

जिला :- अररिया (बिहार)

फोन नं :- 7549995604

जीमेल :- jisandeepkmandal@gmail.com

गुरुवार, 7 जुलाई 2022

अकेले लाचार बुजुर्ग क्या करें जब शरीर साथ नहीं

 🌹🌹अकेले लाचार बुजुर्ग क्या करें जब शरीर साथ नहीं


दे,🌹🌹


माना कि अकेले लाचार बुजुर्ग क्या करें जब शरीर साथ नहीं दे लेकिन अगर वह समय से पुर्व सतर्क सावधान रहें तो बहुत कुछ कर सकते हैं और ना चाहें तो कुछ भी नहीं  कर सकते हैं

    अगर वह पुर्व के जीवन काल में मान मर्यादा और अनुशासन के साथ साथ अपने और अपनों को साथ अनुशासित जीवन एवं अच्छी छवि के साथ जीवन निर्वाह किए हैं तो उसे कभी अकेले पन का महसूस नहीं होगा और जब भी वह नजर उठाकर देखेगा तो पाएंगा की उसके आस पास स्वजनों का भिड़ लगा हुआ है और वह उनसे कह रहा हो आप अकेले नहीं हम सबों के साथ है

    जैसे कि कहा जाता है अकेले चना भाड़ नहीं फोड़ता और अगर गठरी हो साथ तो किसी का शान नहीं चलता अगर कोई गुस्ताखी करने का प्रयास करे तो उसे मुट्ठी भर शमशान भी नसीब नहीं होता

     यह केवल कहावत नहीं सच्चाई है कि आप अपने जीवन में केवल धन ही अर्जित किए हैं या किसी का मन भी 

अगर धन अर्जित किए हैं तो धन जब तक है तब तक ही

     अगर मन अर्जित किए हैं तो इस दुनिया का दरवाजा सदैव आप के लिए खुला है और यह पुन्य शरीर आत्मा का भाव यह नहीं देखता है कि आप कौन हैं कहां से हैं किस प्रक्रम से है बस वह यह देखता है कि एक मानवतावादी विचारक हैं उस विचार और व्यक्तित्व को हारने नहीं देना है उसे निखार कर तृप्ती जग में फैलाना है इस नश्वर शरीर के लिए नहीं मानवता के लिए जिना और मानवता के लिए ही मरना है.

    अर्थात आप अकेले लाचार और असमर्थ हैं तो इसका अर्थ यह नहीं है कि इसका जिम्मेदार कोई और है सम्भवतः आप भी इसका जिम्मेदार हो सकते हैं

     इसी लिए कहा गया है कि

कर्म प्रधान विश्व करी राखा

जो जस करही तष फल चाखा


नाम :- संदीप कुमार

पता :- दियारी (मजगामा)

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बुधवार, 6 जुलाई 2022

माथे पर सिंदूर नहीं एक तरह से ताला है उस ताले का चाभी औरों के हाथों रहने वाला है

 माथे पर सिंदूर नहीं

एक तरह से ताला है

उस ताले का चाभी

औरों के हाथों रहने वाला है।।

हुकुम आज से लाचारी में

तुमतो औरो का मानने वाला है

उसी के रूल रेगुलेशन पर

आज से चलने वाला है

माथे पर सिंदूर नहीं.......


आत्मा तुम्हारी है लेकिन

आज से मरने वाला है

इस आत्मा पर औरों का

अब दाल गलने वाला है

माथे पर सिंदूर नहीं........


पति नाम का एक ठप्पा

तुमको मिलने वाला है

उसके बदले में सारा

संसार बिकने वाला है

माथे पर सिंदूर नहीं..........


मौज मस्ती का सारा आलम

पल-पल लुटने वाला है

तेरे उपर औरों का 

सासन चलते वाला है

माथे पर सिंदूर नहीं..........


दो चार बातें दिन प्रतिदिन

व शाम सबेरे मिलने वाला है

मिठी बातें कभी कभी

कड़वी हरदम मिलने वाला है

माथे पर सिंदूर नहीं..........


अब अपना कुछ भी नहीं

शरीर भी दुसरे का होने वाला है

पापा की अनोखी परी

पति का समर भरने वाला है

माथे पर सिंदूर नहीं..........


नाम :- संदीप कुमार

पता :- दियारी (मजगामा)

जिला :- अररिया (बिहार)

फोन नं :- 7549995604

जीमेल :- jisandeepkmandal@gmail.com

जज्बा-जुनून हो तन-मन में तो वह आश किसी से न करती हैं जो हाथ है,जो साथ है हमारी उसी से नेकी करती है

 जज्बा-जुनून हो तन-मन में तो

वह आश किसी से न करती हैं

जो हाथ है,जो साथ है हमारी

उसी से नेकी करती है।।



टाल मटोल की न जरूरत

तनिक भी उसको पड़ती है

हृदय की गहराई से वह भक्त

भगवान की भक्ति करती हैं

जज्बा-जुनून हो तन मन......


जिससे उसको मुक्ती धाम की

प्रखर रास्ता मिल जाती है

और ना चाहें तो भी उसको

भगवान सरन में रख लेती है

जज्बा-जुनून हो तन मन......


चारों धाम की यात्रा बस वह

सेवा से ही पुर्ण कर लेती है

मंगल मय जिवन फल दायक

हर्ष उल्लास से कट जाती है

जज्बा-जुनून हो तन मन......


आज-कल की सारी चिंता 

वह ईश्वर पर छोड़ देती है

डेली-डंडा लिए मनुष्य वह

जब सेवा में जुड़ जाती हैं

जज्बा-जुनून हो तन मन......


सारी दुख हर लेती उसकी

सुख से जीवन कटती हैं

जब माया संसार को छोड़कर

कोई सेवा कार्य में लग जाती है

जज्बा-जुनून हो तन मन......


नाम :- संदीप कुमार

पता :- दियारी (मजगामा)

जिला :- अररिया (बिहार)

फोन नं :- 7549995604

जीमेल :- jisandeepkmandal@gmail.com

जब मिट जाती हैं पटवन से प्यास

 सूखकर भूमि किसान का पानी को हो जाते हैं त्रास्त तब जाकर बादल हैं आते जब मिट जाती हैं पटवन से प्यास।। अच्छी खासी आंधी भी साथ है लाते कर देते...